Bhastrika Pranayama
Bhastrika Pranayama-भास्त्रिका अर्थात धौंकनी ,जिस प्रकार लोहार अपनी धौंकनी के माध्यम से तेज वायु छोड़कर अग्नि प्रज्वलित कर लोहे की अशुद्धता दूर कर शुद्ध करता है ठीक इसी प्रकार भास्त्रिका प्राणायाम शरीर और मन की शुद्धि करता है फेफड़ों को शुद्ध वायु मिलती है क्यों की इसमे हम वेग्पूर्वक अशुद्ध वायु को निकाल देते हैं।
विधि -पद्मासन ,वज्रासन या सुखासन में बैठ जाइए। मेरूरज्जा अर्थात रीर को सीधा रखेंगे। साँस को दोनो नासा छिद्रों से आवाज़ के साथ लेना है और छोड़ना है रेचक और पूरक की गति तेज रखेंगे,यह ध्यान रखिए साँस छोड़ने की गति साँस लेने से तेज रखेंगे।
शुरुआत 10 बार से करते हुए 4-5 राउंड कर सकते हैं प्रतिदिन अभ्यास करते हुए 6-8 दिन बाद 20-25 (लगातार) 4-5 राउंड में कर सकते हैं।
लाभ -
-फेफड़ो के रोगों में लाभप्रद।
-इम्यून सिस्टम मजबूत करता है।
-शरीर में रक्त संचार तेज करता है।
-वजन कम करने में सहायता करता है।
-ऑक्सिजन की मात्रा संतुलित रखता है।
-जुकाम .कफ खाँसी में भी बहुत लाभप्रद।
-अलर्जिक रोगों में चमत्कारिक लाभ।
साबधानी-
-हाइ ब्ल्ड प्रेशर ,मिर्गी,पथरी,माइग्रेन व गंभीर रोगों में योग प्रक्षिक्षक की देख रेख में ही करें।