Nadi shodhan Pranayama
Nadi shodhan Pranayama-
विधि-
पद्मासन ,सुखासन या वज्रासन अपनी सुविधा अनुसार किसी भी आसन में बैठ जाइए। बायें हाथ को चिन मुद्रा में रखेंगे। दाहिने हाथ से सर्वप्रथम अंगूठे से नासिका के दाहिने छिद्र को बंद करिए और बायें से साँस लीजिए ,फिर बायें को अनामिका उंगली से बंद करते हुए दाहिने छिद्र से साँस को निकाल दीजिए ,फिर इसी (दाहिने) नासा छिद्र से बापिस साँस को लेकर बाए नासा छिद्र से निकाल दीजिए। इस प्रकार एक चक्र नाड़ी शोधन प्राणायाम का पूरा होता है। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लगातार अभ्यास के साथ उर्जा का अनुभव करेंगे ।शुरुआत में 5-7 चक्र कर सकते हैं। फिर धीरे -2 समय बड़ा सकते हैं।
लाभ-
-यह अभ्यास 72000 नाड़ीयों को स्वस्थ और ऊर्जित करता है।
-मन की एकाग्रता बड़ाता है।
-नेत्र ज्योति में बहुत लाभकारी।
-अनिंद्रा रोग दूर करता है-शारीरिक व मानसिक रोगों में लाभप्रद।
-मन के तनाव को दूर कर शांति देता है।
-हार्मोन्स को संतुलित करता है।
-श्वसन संबंधी रोगों में लाभप्रद
-हर प्रकार की एलेर्जी को ठीक करता है