Moola Bandha

विधि-  सर्वप्रथम  सिद्धासन में बैठेंगे इसमें  बाएँ  पैर की एड़ी से  गुदाद्वार को दबाकर दाएँ पैर  को बाएँ पैर  की जाँघ पर रखकर सिद्धासन में बैठें। इसके बाद नीचे की वायु को ऊपर की ओर (गुदा को संकुचित करते हुए) खींचने का अभ्यास करें। सिद्धासन में एड़ी के  द्वारा दबाव बनाते हैं। 

सिद्धासन में दोनों घुटने जमीन को छूते हुए होने चाहिए तथा हथेलियाँ को  घुटनों पर रखेंगे। फिर गहरी साँस लेते हुए  वायु को अंदर ही रोक लें।  अब गुदाद्वार को पूरी तरह से सिकोड़ लें। अब साँस को रोककर कुछ देर  तक बंध को बनाए रखें। इस अवस्था में भी लगाकर रखें फिर मूलाधार का संकुचन छोड़कर जालंधर बंध को धीरे से खोल दें और धीरे से साँस को बाहर छोड़ दें। इस अभ्यास को 4 से 5 बार कर सकते हैं ।

सावधानी- मूलबंध का अभ्यास  निर्देशन में ही करना चाहिए।

लाभ- इससे कब्ज का रोग समाप्त हो जाता है , भूख भी तेज हो जाती है। हार्मोन सिस्टम को ठीक करता है । पेट की समस्यायों में लाभकारी ।गैस में भी लाभदायक ।महिलाओं के लिए अत्यधिक लाभप्रद ।शरीर का भारीपन समाप्त होता है और सुस्ती मिटती है। पुरुषों के धातुरोग और स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बंधी रोगों में ये  बहुत ही लाभकारी  है।