Shankha Prakshalan Kriya

Shankha Prakshalan Kriya-

हठयोग की यह क्रिया मुह से गुदाद्वार तक पूर्ण अन्न नलिका के शुधीकरण की महत्वपूर्ण क्रिया है ।शंख अर्थात आँतो के एवं प्रक्षालन पूर्णता साफ करना ,क्रिया कहलाता है 

विधि- ।सर्वप्रथम धीरे धीरे 3-4 ग्लास गुनगुना एवं नमक मिला पानी पीजिए तत्पस्चात कुछ गतीशील व्यायाम क्रम अनुसार करेंगे-

-सबसे पहले पंजो के बल हाथों को उपर उठाकर चलते हुए 30-40 कदम।
-अब कमर को दोनो तरफ 15-20 मोड़ते हुए(side-bending)।
-भुजंगासन 5-7 बार
-त्रियक भुजंगासन 4-5 बार दाई और बाई
-अर्ध मत्स्येन्द्रसन 3-5 बार
-पवन मुक्तासन 5-7 बार
-उदर कर्षनासान-

पाँव के बीच में फासला रखते हुए उकड़ू बैठिएदायें पाँव को मोड़ते हुए बाईं तरफ ज़मीन से लगाइए और बायें पाँव को मोड़ते हुए दाईं तरफ ज़मीन से लगाइए 3-5 बार करिए जब मलत्याग की इच्छा हो तो जाइएइसी तरह फिर से 3-4 ग्लास पानी पीजिए और उपरोक्त क्रम फिर दोहराईए इसी तरह 3-4 बार दोहराते रहिए जब तक मल्त्याग की इच्छा ना हो ।

जब आपको मल्त्याग की इच्छा कम हो तो इन प्रक्रम में चक्रासन और मयुर आसन भी शामिल करिए इसी पेट अच्छी तरह सॉफ होने में सहायता मिलती है शुरू में मल काला और पीला हो सकता है आप जब तक दोहराईए जब तक सिर मल की जगह सॉफ पानी न निकालने लगे जब मल के स्थान पर सिर्फ़ साफ़ पानी आने लगे तब आप शवासन में एक घंटे के लिए लेट जाइए
-इस दौरान भी आपके पेट से थोड़ा पानी आ सकता है।
-आराम के बाद खिचड़ी (मूँग दाल अधिक चावल कम) 4-6 स्पून देशी घी डाल कर खाइए।
-अगले दिन तक मिर्च मसाले व भारी भोजन का परहेज करिए।
-इस क्रिया को साल में एक या दो बार ही कर सकते हैं।

सावधानियाँ-पेट के गंभीर रोगी न करें।
                योग शिक्षक के निर्देशन में ही यह क्रिया करनी चाहिए।

लाभ -

-आँत से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालती है।
-समस्त पाचन प्रदेश का शुध्हि करण।
-रक्त भी शुध हो जाता है।
-पेट के पुराने रोगों में जैसे पेचिश अपच असिडिटी विषाक्त रक्त विकार जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
-शरीर में हलकापन और स्फूर्ति आती है।
-अध्यात्मिक साधना में सहायक है।