Sutra Neti Kriya

Sutra Neti Kriya-

विधि-सर्वप्रथम पंजों के बल बैठ जायें ।अब सूत्र का एक सिरा दाईं नासिका द्वारा अंदर की ओर डालें। इसे नासिका में धीरे 2 अंदर की ओर धकेलें।  जब गले में सूत्र का सिरा महसूस होने लगे तब दायें हाथ की तर्जनी और अंगूठे से सिरे को पकड़ लें और धीरे से सूत्र को खीचें ।ध्यान रखना है की नाक वाला सिरा पकड़े रहेंगे। अब दोनो सिरों को पकड़ कर धीरे 2 मर्दन करें अर्थात आगे पीछे खिसकाइए जिससे नासिका मार्ग की सफाई हो सके। तत्पस्चात सूत्र को नासिका से ही निकाल लीजिए ।
अब इसे बाई तरफ से दोहराईए।

साबधानियाँ - विशेष रूप से हाथों की उंगलियों के नाख़ून कटे हों ,अन्यथा गले में चोट लग सकती है। गर्भावस्था में महिलायें न करें।हृदय रोगी या स्लिप डिस्क के रोगी भी न करें।नाक से संबंधित गंभीर रोगों में न करें ।योग शिक्षक के निर्देशन में करें।

लाभ- इस क्रिया के अभ्यास से नासिका मार्ग की सफाई होती ही है।  टॉन्सिल्स व नाक की एलार्जी में बहुत लाभदायक।जल्दी जल्दी जुकाम होना या अत्यधिक छीकें आना बंद हो जाता है। साथ ही कान, नाक, दाँत, गले आदि के कोई रोग नहीं हो पाते और आँख की दृष्टि भी तेज होती है। इसे करते रहने से सर्दी और खाँसी की शिकायत नहीं रहती।