अच्छी नींद के लिए रोज करें ये प्राणायाम

Sleep Disorders and Sleeping Problems

क्या आपको रात में नींद नहीं आती है? आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में तनाव, भाग-दौड़ व जीवनशैली से संबंधित ऐसी कई समस्याएं हैं जिन्होंने दिन का चैन और रातों की नींद गायब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हर तीन में से एक इंसान परेशान है कि उसे नींद समय से आती ही नहीं।

हम इस समस्या से परेशान तो रहते हैं लेकिन इसके उपचार की दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाते। आगे चलकर नींद न आने की समस्या कई गंभीर मानसिक समस्याओं या शारीरिक रोगों में तब्दील हो जाती है। ऐसे में इसके उपचार की दिशा में प्राणायाम एक प्रभावी विकल्प है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों की जानकारी दे रहे हैं जिनकी मदद से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकेंगे। 

भ्रामरी प्राणायाम
निय‌मित रूप से 5 से 10 मिनट तक इस प्राणायाम को करने से भी नींद अच्छी आती है। इसे करने के लिए सबसे पहले सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं। मन शांत रखें। दोनों अंगूठों से कान को पूरी तरह बंद करें और पहली दो उंगलियों को माथे पर व निचली दो उंगलियों को आंखों पर रखें। अब लंबी सांस लें और गले से आवाज निकालें। इस मुद्रा में भंवरे जैसी आवाज निकलती है इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम
प्रतिदिन 3 से 5 मिनट तक इस प्राणायाम को करने से आप तनावमुक्त रहेंगे और नींद अच्छी आएगी। इसके लिए कुछ देर पहले एक या दो ग्लास पानी पी लें। फिर सुखासन या पद्मासन में बैठें। कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब आंखें बंद करके लंबी सांस लें और मुंह बंद करके नाक से सांस निकालें। फिर गति बढ़ाते हुए जल्दी-जल्दी आवाज के साथ सांस भरें और निकालें। 

कपालभाति प्राणायाम
रोज नियंम से 3 से 5 मिनट कपालभाति प्राणायाम करने से नींद अच्छी आती है और शरीर कई रोगों से मुक्त रहता है। आमतौर पर भस्त्रिका प्राणायाम के बाद इसे किया जाता है। इसके लिए सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। फिर लंबी सांस लें। अब सांस को छोड़े जिससे पेट पर जोर पड़े।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम 
इसे प्रतिदिन 5 से 10 मिनट करने से आपको अच्छी नींद आएगी। इस आसन के लिए सुखासन में पहले बैठ जाएं। फिर दाएं हाथ के अंगूठे से नाक का दाया छिद्र बंद करें और सांस भीतर की ओर खींचे। फिर उसी हाथ की दो उंगलियों से बाईं ओर का छिद्र बंद कर दें और अंगूठा हटाकर दाईं ओर से सांस छोड़ें। इसी प्रक्रिया को फिर नाक के दूसरे छिद्र से दोहराएँ।