क्या पेन किलर से बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा?

क्या पेन किलर से बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा?

लगभग हर केमिकल मिश्रित दवाई शरीर के लिए नुकसानकारी है। यदि इससे कोई बीमारी होती है तो ये उस पूरे हिस्से हो ही खराब कर सकती हैं। इसलिए बहुत से लोग देर सवेर इन अंग्रेजी दवाइयों की बजाय होम्योपैथी दवाइयों का सेवन करते हैं या कोई थैरेपी लेते हैं।

यदि पेन किलर्स की बात करें तो ये भी शरीर के अंदर विपरीत प्रभाव डालते हैं। यदि कोई व्यक्ति डाइबिटीज़, हयपर-टेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल या किडनी की बीमारी से ग्रसित है तो ये पेन किलर्स विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं।

एक रिपोर्ट से पता चला है कि पेन किलर्स का ज्यादा सेवन हार्ट के लिए सही नहीं है, इनसे हार्ट अटैक का खतरा रहता है जिससे मौत भी हो सकती है।

छोटी गल्तियां जो बना देती है दिल की बीमारी को बड़ा 

कई बार आपके द्वारा की जाने वाली छोटी - छोटी गल्तियां आपके दिल के लिए मुश्किल खड़ी कर देती है। आइए जानते है कुछ ऐसी ही गल्तियों के बारे में जो आपके दिल को बीमार बना देती है। हार्ट अटैक का खतरा दुनिया में किसी भी जानलेवा खतरे के मुकाबला कहीं ज्‍यादा होता है। हृदय हमारे शरीर में सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण अंग है क्‍योंकि यह दिन के 24 सों घंटे धड़कता रहता है। कोरोनरी धमनी के माध्‍यम से दिल की मासपेशियों को रक्‍त की आपूर्ति होती रहती है और इसी प्रकार से दिल की पेशियां जीवंत रहकर कार्यक्षम बनी रहती हैं।

अगर आपको अपने हृदय का खास ख्‍याल रखना है तो कुछ छोटी छोटी गलतियों को दूर करना सीखें। जैसे, तेल का सेवन बहुत कम या बिल्‍कुल भी न करें। हार्ट अटैक एक साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है। डाक्‍टरों कि सलाह है कि यदि आपकी आयु 30 पार हो चुकी है तो आपको रूटीन चेकअप करवाते रहना चाहिये। आइये जानते हैं कि दिल कि बीमारी को बढाने वाली ऐसी कौन कौन सी छोटी-छोटी गलतियां हैं, जिन पर कभी हमारा ध्‍यान ही नहीं जाता

समय - समय पर चेकअप न करवाना- दिल की बीमारी से पीडि़त कई लोगों में बीमारी से पहले स्‍पष्‍ट लक्षण नहीं दिखते है। इसलिए बेहतर होगा कि 20 साल की उम्र पार करने के बाद आप नियमित रूप से अपने कोलेस्‍ट्रॉल की जांच करवाते रहे। हर पांच साल में कोलेस्‍ट्रॉल की, हर दो साल में ब्‍लड़ प्रेशर और प्रत्‍येक छ: महीने में अपना वजन जरूर चेक करवाएं। 45 की उम्र के बाद शरीर में ब्‍लड़ ग्‍लूकोज की मात्रा भी चेक करवाते रहना चाहिए।

आनुवांशिक बीमारी को भूलाना- कई बार परिवार में आपके पैरेंट को दिल की बीमारी होती है लेकिन आप उस बात को कभी ध्‍यान में नहीं रखते है। ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है। अपने परिवार में होने वाली दिल की बीमारियों को ध्‍यान में रखें और उसी हिसाब से अपना परीक्षण समय - समय पर करवाते रहें।

दांतों की सही तरीके से सफाई न करना- दांतों की सफाई और दिल का स्‍वस्‍थ होना एक दूसरे के पूरक है। वास्‍तव में, कई शोधों से पता चला है कि अगर आपके दांत स्‍वस्‍थ रहते है तो आपको दिल की बीमारी कम होने के चांस होते है। दांत की सफाई न रखने पर, उसके माध्‍यम से बैक्‍टीरिया पेट में चले जाते है और कई तरह की दिक्‍कत पैदा करते है जिससे दिल पर जोर पड़ता है और दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

पर्याप्‍त मात्रा में दूध का सेवन न करना- अगर आप स्‍वस्‍थ रहना चाहते है तो नियमित रूप से मिल्‍क का सेवन करें। अपने डायट चार्ट में नियमित रूप से दूध को शामिल करें ताकि आपको दिल की कोई बीमारी न लगे।

सूर्य की रोशनी शरीर पर पड़ने दें -सूर्य के प्रकाश में काफी ऊर्जा होती है और उससे बॉडी को विटामिन डी भी मिलता है। इसका अर्थ यह बिल्‍कुल नहीं है कि आप कड़ी धूप में खड़े हो जाएं लेकिन कम से कम शरीर में सुबह की गुनगुनी धूप जरूर पड़ने दें। इससे आपके शरीर में विटामिन डी का स्‍तर सही बना रहेगा। जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उनके बॉडी में रक्‍त वाहिकाओं का निर्माण सुचारू रूप से नहीं होता है जबकि जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है उनके शरीर में ब्‍लड़ वाहिकाएं अच्‍छे से क्रिया करती हैं। डॉक्‍टर सलाह देते है कि दिन में कम से कम सुबह की गुनगुनी धूप 30 मिनट तक जरूर सेकें। इस दौरान सन स्‍क्रीन का सेवन न करें। दिन में सुबह 8 से दोपहर 3 बजे तक की धूप ही लाभकारी होता है। इससे आपके शरीर में विटामिन डी की पर्याप्‍त मात्रा बनी रहेगी

बीन्‍स का सेनव न करना- सेम, ग्‍वालफली या राजमा को न खाना आपकी गलती है। इनका सेवन अवश्‍य करना चाहिए, क्‍योंकि इनमें प्रोटीन बहुतायत में होता है। इसके अलावा, इनमें वसा की मात्रा नहीं होती है और घुलनशील फाइबर होता है जो बॉडी में कोलेस्‍ट्रॉल को संतुलित रखता है। दलिया और जौ से बना भोजन, घुलनशील फाइबर के अच्‍छे स्‍त्रोत होते है। ये भोजन बॉडी से एक्‍ट्रा कोलेस्‍ट्रॉल को हटाने में भी मदद करते है।

एनर्जी और कोल्‍ड ड्रिंक का सेवन करना- एनर्जी ड्रिंक और कोल्‍ड ड्रिंक में सुगर की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है जो आपके शरीर के ब्‍लड़ में ट्राइग्लिसराइड का स्‍तर बढ़ाने के लिए पर्याप्‍त होता है। ट्राइग्लिसराइड एक प्रकार का वसा होता है जो ब्‍लड को गाढ़ा कर देता है। इसलिए, अगर आपकी धमनियों में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा ज्‍यादा हो, तो एनर्जी व कोल्‍ड ड्रिंक का सेवन कतई न करें। इसकी बजाय ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पिएं, या फिर नींबू का पानी, गन्‍ने का रस या फ्रूट जूस आदि। गन्‍ने का जूस सबसे ज्‍यादा ऊर्जा देने वाला होता है।

सही से नींद न लेना- रात में सही से नींद न लेना, ज्‍यादा काम करना और देरी से सोना आदि भी दिल की बीमारी के प्रमुख कारण होते है। दिन में कम से कम 8 घंटे नींद अवश्‍य लें। पर्याप्‍त नींद लेने से बॉडी सही ढंग से मूव करती है और दिल हमेशा स्‍वस्‍थ बना रहता है। जल्‍दी सोएं, पूरी नींद लें, ताकि आप हमेशा स्‍वस्‍थ रहें। अक्‍सर देखा गया है कि जो लोग नींद के कच्‍चे होते है या सही ढंग से नींद नहीं लेते है उन्‍हे हार्टअअैक पड़ने के चांस ज्‍यादा रहते है। अगर आपको किसी कारणवश नींद आती ही नहीं है तो अपने डॉक्‍टर से सलाह लें

संतुलित आहार न लेना -दिल को स्‍वस्‍थ बनाएं रखने के लिए शरीर में फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्‍सीडेंट, फ्रूट और सब्जियां आदि का सेवन करना आवश्‍यक होता है, इनके सेवन से शरीर में पोटैशियम की भरपूर मात्रा पहुंचती है और बॉडी में ब्‍लड़ भी सही मात्रा में बना रहता है। पोटैशियम बॉडी में सोडिसम की मात्रा को बैलेंस रखता है जिससे लो ब्‍लड़ प्रेशर की समस्‍या नहीं होती है। खट्टे फल, केला, आलू, टमाटर और बीन्‍स का सेवन भरपूर मात्रा में करें, इनमें बहुतायत में पोटेशियम होता है। फलों में सेब, केला, खीरा, नाशपाती खाएं

न टहलना -आप दिन भर सिर्फ खाने में विश्‍वास रखते हो और टहलने के नाम से कतराते हो, तो गलत है। दिन में थोड़ी देर अवश्‍य टहलें, इससे शरीर में एक्‍ट्रा फैट घटेगा, कैलोरी कम होगी और शरीर में रक्‍त का संचार अच्‍छे से होगा। छोटे - मोटे कामों को पैदल चलकर ही कर लें। दिन में कम से कम 10,000 कदम चलना जरूरी होता है यानि प्रतिदिन 45 मिनट की सैर आपको जीवन भर के लिए चुस्‍त बनाती है।

इस विषय पर अध्ययन करते हुये यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिन्सट्रेशन ने कहा कि नॉन- स्ट्रोडियल एंटी इंफलामेटरी ड्रग्स ऐसे ड्रग्स हैं जो कि एनाल्जिक (पेन किलर) और एंटी- पायरेटिक (बुखार को कम करना) का प्रभाव रखते हैं, इनसे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इनके सेवन के पहले सप्ताह में इसका खतरा ज्यादा रहता है और लंबे समय तक सेवन से भी यह खतरा बढ़ जाता है।

दर्द निवारक और बुखार को कम करने वाली दवाइयों से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा सबसे पहले 2005 में यू.एस. एफडीए ने बताया और इन दवाइयों के लिए चेतावनी जारी की। इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं और इस तरह की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, चाहे डॉक्टर ने प्रिस्क्राइब किया है या नहीं आप डॉक्टर से एक बार सुझाव जरूर ले लें।