एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण
खून की कमी यानी एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण के समान है। चुकन्दर के कन्द के अलावा चुकन्दर की हरी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायी है। इन पत्तियों में कन्द की तुलना में तीन गुना लौह तत्व अधिक होता है। पत्तियों में विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कन्द व इसकी पत्तियां रक्त निर्माण के अलावा हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालने अर्थात 'क्लिंजर' के रूप में कार्य करते हैं। चुकन्दर में पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीज व रेशे की पर्याप्त मात्रा होती है। पाचन योग्य शर्करा की उपस्थिति के कारण चुकन्दर का सेवन ऊर्जा भी प्रदान करता है।
संपूर्ण शरीर को निरोग रखता है चुकंदर
ऐसा समझा जाता है कि चुकन्दर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, लेकिन सच यह है कि चुकन्दर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एण्टी ऑक्सीडेण्ट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं। चुकन्दर में पाए जाने वाले फोलिक एसिड, पोटेशियम व मुलायम रेशा भी इसके पोषणिक गुणों को बढ़ाते हैं। चुकन्दर का नियमित सेवन सम्पूर्ण शरीर को निरोग रखने में सहायक है। हालाँकि हमारे दैनिक आहार में चुकन्दर को अभी भी उचित स्थान प्राप्त नहीं है। लेकिन इसे नियमित खाने से अन्य रोगों में लाभ होता है।
बहुत गुणकारी है चुकंदर
* एसीडोसिस : चुकन्दर की क्षारीयता शरीर में एसीडोसिस को रोकने में सहायक है।
* रक्ताल्पता : चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबीन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है।
* रक्तचाप : विशेषज्ञों का मानना है कि चुकन्दर के रस का नियमित सेवन रक्तचाप को नियन्त्रित रखता है। उच्च रक्तचाप में कमी लाने में भी चुकन्दर गुणकारी है।
* कब्ज : चुकन्दर का मुलायम रेशा आँतों की गति बनाए रखता है। इसको नियमित रूप से खाने से लम्बे समय से चली आ रही कब्ज से भी मुक्ति मिल जाती है।
* रक्त कणिकाओं को सिकुड़ने से रोकना: चुकन्दर के रस का नियमित सेवन रक्त नलिकाओं में कैल्शियम के जमाव को हटाकर उनका लचीलापन बनाए रखता है, जिससे रक्त संचरण सुगमता से होता है।
* कैंसर से बचाव : चुकन्दर में पाए जाने वाले अमीनो एसिड में कैंसररोधी तत्व पाए जाते हैं। शोध अध्ययनों से पता चला है कि चुकन्दर के रस के नियमित सेवन से कैंसरकारक तत्वों का निर्माण बाधित होकर पाचन तन्त्र की कार्यक्षमता को बढ़ावा मिलता है।
* विषैले तत्वों को बाहर निकालना: चुकन्दर के रस का नियमित सेवन न केवल यकृत , बल्कि सम्पूर्ण पाचन तन्त्र के हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालकर आरोग्य प्रदान करता है। चुकन्दर के साथ यदि गाजर मिलाकर इसके रस का सेवन किया जाए तो यह पित्ताशय व वृक्क से हानिकारक तत्वों को हटाकर इन अंगों की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
अच्छे चुकंदर की पहचान
खाने के लिए पत्तीदार चुकन्दर का चयन करें। पत्ती सहित चुकन्दर को 3-4 दिन रेफ्रीजरेटर में संग्रह करने पर इनकी पत्तियों की नमी बनी रहती है, जबकि पत्तियों के बिना चुकन्दर को लगभग दो सप्ताह तक संग्रह किया जा सकता है। जिन चुकन्दर का तल गोलाई लिए होता है, वे अपेक्षाकृत अधिक स्वादिष्ट होता है। ताजे व कच्चे चुकन्दर में एक विशेष खुशबू होती है, जो इसके स्वाद को बढ़ाती है।
सावधानियां
चुकन्दर का सेवन उन व्यक्तियों को न्यूनतम ही करना चाहिए, जिन्हें गुर्दों में पथरी की समस्या है। चुकन्दर का सेवन शक्तिवर्धक होने के साथ-साथ शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालता है, अत: इसके सेवन की शुरुआत थोड़ी मात्रा से करें। पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक इस प्राकृतिक क्लिंजर को अपने आहार में रस, सलाद व अन्य व्यञ्जनों के रूप में शामिल कर स्वस्थ व निरोग रहें।
सलाद के रूप में खाएं चुकंदर
भारतीय भोजन थाली में सलाद के रूप में चुकन्दर का उपयोग काफी प्रचलित है। गहरे लाल बैंगनी रंग का यह कन्द प्राय: शरीर में खून बढ़ाने के गुण के कारण खाया जाता है। लौह तत्व के अलावा चुकन्दर में विटामिंस भी भरपूर पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से विटामिन ए, बी, बी 1, बी 2, बी 6 व विटामिन सी की पूर्ति सहज ही हो जाती है। शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकन्दर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किन्तु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकन्दर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है।