कंट्रोल कर लो बीपी

Low BP tips

लो बीपी या हाइपोटेंशन को आमतौर पर लोग गंभीरता से नहीं लेते। साथ ही, इसे लेकर तमाम गलतफहमियां भी हैं। सही तरीके से इलाज न होने पर लो बीपी कई समस्याओं की वजह बन सकता है। इससे निबटने के बारे में एक्सपर्ट्स से बात करके बता रहे हैं नरेश तनेजा : 

क्या होता है ब्लड प्रेशर 
हमारे दिल से सारे शरीर को साफ खून की सप्लाई लगातार होती रहती है। अलग-अलग अंगों को होने वाली यह सप्लाई आर्टरीज (धमनियों) के जरिए होती है। ब्लड को प्रेशर से सारे शरीर तक पहुंचाने के लिए दिल लगातार सिकुड़ता और वापस नॉर्मल होता रहता है - एक मिनट में आमतौर पर 60 से 70 बार। जब दिल सिकुड़ता है तो खून अधिकतम दबाव के साथ आर्टरीज में जाता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। जब दिल सिकुड़ने के बाद वापस अपनी नॉर्मल स्थिति में आता है तो खून का दबाव आर्टरीज में तो बना रहता है, पर वह न्यूनतम होता है। इसे डायास्टोलिक प्रेशर कहते हैं। इन दोनों मापों - डायास्टोलिक और सिस्टोलिक को ब्लड प्रेशर कहते हैं। ब्लड प्रेशर दिन भर एक-सा नहीं रहता। जब हम सोकर उठते हैं तो अमूमन यह कम होता है। जब हम शारीरिक मेहनत का कुछ काम करते हैं जैसे तेज चलना, दौड़ना या टेंशन, तो यह बढ़ जाता है। बीपी मिलीमीटर्स ऑफ मरकरी (एमएमएचजी) में नापा जाता है। 

>लो बीपी 
सामान्य बीपी 120/80 होना चाहिए। थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होने से खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर ऊपर का 90 से कम हो जाए तो उसे लो बीपी, निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन कहते हैं। 

लो बीपी के लक्षण 
थकान, कमजोरी, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देना, स्किन में पीलापन और ठंडा पड़ जाना, निराशा या डिप्रेशन, उलटी-सी महसूस होना, प्यास लगना और तेज रफ्तार से आधी-अधूरी सांसें आना। 

वजहें 
पानी या खून की कमी, उलटियां, डेंगू-मलेरिया, हार्ट प्रॉब्लम, सदमे, इन्फेक्शन, ज्यादा मोशन आने, शरीर से ज्यादा खून बह जाने, लंग या फेफड़ों के अटैक से, हार्ट का वॉल्व खराब हो जाने के अलावा कई दवाओं से भी बीपी लो जाता है। शरीर के अंदरूनी अंगों में खून का रिसाव, पौष्टिक खाने की कमी व खाने-पीने में अनियमितता बरतना भी लो बीपी की वजह हो सकती हैं। अचानक सदमा लगना, कोई भयावह दृश्य देखने या खबर सुनने से भी लो बीपी हो सकता है। 

अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवाल 

क्या लो बीपी को इमर्जेंसी माना जाना चाहिए? 
दिल के मरीज, बुजुर्गों और जिन लोगों को हाई बीपी रहता हो, उनका बीपी अगर लो हो (ऊपर का 90 से कम) जाए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि इसका असर दिमाग, हार्ट और किडनी पर पड़ सकता है। ऐसे में ईसीजी भी करवा लेनी चाहिए। वैसे लो बीपी के किसी भी मरीज को डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि आगे जाकर हालात खराब न हों। 

बीपी कितना लो होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए? 
ऊपर का 90 से कम होते ही डॉक्टर को दिखा लें। नीचे 65 तक भी चला जाए तो ज्यादा चिंता की बात नहीं है। 

क्या लो बीपी ठीक हो सकता है? 
जी हां। नमक का पानी (सैलाइन वॉटर) चढ़ाने या जरूरत पड़ने पर खून चढ़ाने से लो बीपी ठीक हो जाता है। खून चढ़ाने की नौबत बेहद कमजोरी होने या ज्यादा खून बह जाने पर पड़ती है। जो लोग पहले से हाई बीपी की दवा खा रहे हैं, वे दवा खाना बंद कर दें तो भी बीपी का लेवल ठीक हो जाता हे। हार्ट पेशंट्स डॉक्टर की सलाह से हार्ट की गोलियां कुछ वक्त तक रोककर वैकल्पिक दवाएं लें तो उनका लो बीपी नॉर्मल हो सकता है। 

जिनका बीपी लगातार लो रहता है, वे क्या करें? 
संतुलित व पौष्टिक खाना खाएं, ज्यादा पसीना निकालने वाले कामों से बचें, धूप में ज्यादा न घूमें और पर्याप्त मात्रा में नमक खाएं। 

ऊपर वाला (सिस्टॉलिक) बीपी ठीक हो और नीचे का (डायसिस्टॉलिक) बीपी 65 पॉइंट तक चला जाए तो... 
नीचे वाला लो हो जाने से ज्यादा चिंतित होने की बात नहीं है। यह 65 पॉइंट तक भी ठीक होता है, पर अगर ऊपर वाला पहले से एकदम 30 पॉइंट कम हो जाए या 90 से कम हो जाए तो ठीक नहीं होता। लोअर बीपी 65 से नीचे चला जाए को चिंता की बात है। 

लो बीपी होने पर क्या करें? 
नमक या नमक-चीनी वाला पानी या चाय पिलाएं। पैरों के नीचे दो तकिए लगाकर मरीज को लिटा दें। 

कौन बरतें सावधानी? 
हार्ट पेशंट्स और एनीमिया के शिकार लो बीपी को लेकर सावधान रहें। 

ऐसे होता है बीपी चेक 
किसी के ब्लड प्रेशर को सिर्फ एक बार जांचने के आधार पर ही नहीं कह सकते कि बीपी लो है। पेशंट का रुटीन देखा जाता है कि वह शारीरिक मेहनत करता है या नहीं। उसकी फैमिली हिस्ट्री भी देखी जाती है कि उसके माता-पिता को शुगर या बीपी तो नहीं था। साथ ही, कॉलेस्ट्रॉल और किडनी की भी जांच की जाती है। इन तमाम जांचों के आधार पर बीपी निकाला जाता है। तीन दिन तक लगातार सुबह खाली पेट बीपी चेक करने के बाद उसका औसत निकालकर ही माना जाना चाहिए कि बीपी लो है या हाई। बीपी मानसिक व शारीरिक दोनों वजहों से हाई या लो होता है। उसी के आधार पर दवा दी जाती है। 

चेक कराने से पहले 
बीपी चेक करवाने से पहले ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी चाहिए। अगर डॉक्टर घर से दूर हो या क्लिनिक में देर से आए तो जांच से आधा घंटा भर पहले तक सुबह हल्का-सा नाश्ता किया जा सकता है। सामान्य स्थिति में खाली पेट ही बीपी चेक कराएं। डॉक्टर के पास पहुंचते ही तुरंत बीपी चेक न कराएं। वहां 15-20 मिनट बैठने के बाद ही बीपी चेक करवाना चाहिए ताकि शरीर नॉर्मल अवस्था में आए जाए। अगर इमर्जेंसी हो तो तुरंत जांच करानी चाहिए। 

ये भी जान लीजिए 
हार्ट अटैक के कारण बीपी लो हो तो जीभ के नीचे रखने वाली सॉरबिट्रेट जैसी नाइट्रेट बेस्ड दवाएं न दें। इनसे बीपी और लो हो सकता है। उस वक्त सिर्फ डिस्प्रिन की गोली ही दें। 

हार्ट व हाई बीपी की ज्यादातर दवाएं ज्यादा मात्रा में लेने पर बीपी लो कर देती हैं। डिप्रेशन की दवाएं और पेनकिलर्स ज्यादा लेने और ज्यादा शराब पीने से भी बीपी लो हो सकता है। 

यह कहना सही नहीं है कि शुगर की वजह से बीपी लो हो जाता है। दरअसल, पेशाब लाने की दवाएं लेने पर शुगर के मरीजों में बीपी लो हो सकता है, इंसुलिन या शुगर की बाकी दवाओं से नहीं। 

यौन शक्ति बढ़ानेवाली वायग्रा जैसी दवाएं इस्तेमाल करने वाले लोग अगर नाइट्रेट बेस्ड सॉबिर्ट्रेट जैसी दवाएं भी साथ में लेते हैं तो उससे खतरनाक तरीके से बीपी लो हो सकता है। 

अगर माता-पिता दोनों को बीपी की शिकायत हो तो कई बार उनके बच्चों में बीपी काफी हाई (170 तक भी) होने पर भी लक्षण प्रकट नहीं हो पाते। ऐसे में प्रॉपर चेक करवाएं। 

आम धारणा है कि लो बीपी को ठीक करने के लिए ताकत की दवाई या टॉनिक लेने चाहिए या फिर ऐसे लोगों को घर काम काम नहीं करना चाहिए, लेकिन यह सच नहीं है। 

इनका बीपी हो सकता है लो 
महिलाओं में 15 से 40 तक की उम्र में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन की वजह से बीपी कम पाया जाता है, पर उसे लो नहीं माना जाता क्योंकि ऐसा हार्मोंस की वजह से होता है। ऐसी महिलाओं में बीपी 100 /60 या 100 /65 तक हो सकता है। मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के बाद उन्हीं महिलाओं में बीपी बढ़ने के चांस हो जाते हैं क्योंकि ये हार्मोंस उस उम्र में बनना कम हो जाते हैं। तब नीचे वाला बीपी 90 से ऊपर व ऊपर वाला बीपी 150 से 160 तक हो सकता है। इसके लिए जांच करवाकर दवा लेनी चाहिए। 

जो लोग खिलाड़ी हैं या अच्छी-खासी एक्सरसाइज करते हैं, उनका बीपी आमतौर पर कम ही मिलता है। इसे बीमारी नहीं माना जा सकता। 

खानपान 
पालक, मेथी, घीया, टिंडा व हरी सब्जियां लें। 

अनार, अमरूद, सेब, केला, चीकू व अंगूर खाएं। 

कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ न हो तो थोड़ा-बहुत घी, मक्खन व मलाई खाएं। 

केसर, दही, दूध और दूध से बने पदार्थ खाएं। 

सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। 

सेब, गाजर या बेल का मुरब्बा चांदी का वर्क लगाकर खाएं। 

बचाव और इलाज 
स्मोकिंग से परहेज करें, एक्टिव रहें और ज्यादा टेंशन न करें तो लो बीपी से बचा जा सकता है। 

ऐलोपैथी 
ऐलोपैथिक डॉक्टर लो बीपी को एक बीमारी न मानकर दूसरी बीमारियों का लक्षण या परिणाम मानते हैं, इसलिए बिना जांच वे कोई भी दवा नहीं खाने की सलाह देते हैं। 

होम्योपैथी 
होम्योपैथी में अलग-अलग वजहों से होने वाले लो बीपी के लिए अलग-अलग दवाइयां हैं : 

एक्सिडेंट, ऑपरेशन या महिलाओं में डिलिवरी या पीरियड्स के दौरान ज्यादा खून बह जाने से होने वाले लो ब्लड प्रेशर के लिए चाइना-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार तीन-चार दिन तक लें। 

किसी भी प्रकार का सदमा लगने से होने वाले लो ब्लड प्रेशर में एकोनाइट-30 या इग्नीशिया-30 या मॉसकस-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार या कालीफॉस-6 एक्स की चार-चार गोलियां चार बार लें। 

अगर अक्सर लो ब्लड प्रेशर रहता हो तो आर्सेनिक एल्बम-30 या जेल्सिमियम-30 या फॉसफोरिक एसिड-30 की पांच-पांच गोलियां दिन में चार बार लें। 

आयुर्वेद 

इनमें से कोई एक उपाय करें : 

सिद्धमकरध्वज की खुराक मरीज की हालत के मुताबिक वैद्य से बनवाकर लें। 

वृह्दवातचिंतामणि रस की आधी-आधी गोली सुबह-शाम दूध से लें। 

योगेंद्र रस की आधी गोली पानी से दिन में एक बार लें। 

(सिद्धमकरध्वज, वृह्दवातचिंतामणि रस व योगेंद रस, ये तीनों दवाएं बहुत ज्यादा बीपी लो होने पर सिर्फ वैद्य की देखरेख में ही लेनी चाहिए।) 

मकरध्वज की एक गोली रोज लें। 

कपूरादि चूर्ण एक छोटी चम्मच सुबह-शाम पानी से कुछ दिन तक लगातार लें। इसे शुगर के मरीज भी ले सकते हैं। 

हरगौरी रस एक रत्ती सुबह-शाम शहद से लें। 

मृगांग पोटली रस पाउडर की एक रत्ती सुबह-शाम पानी से लें। शुगर वाले भी सकते हैं। दिल के लिए अच्छा है और ताकत भी देता है। 

चार रत्ती या आधा छोटा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण या दो रत्ती ताप्यादि लौह या दो रत्ती प्रवाल पिष्टी (प्रवाल पिष्टी कैल्शियम बढ़ाती है) या चार रत्ती आंवला चूर्ण या कामदुधा रस की गोली दो रत्ती पानी से लें। 

दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट बराबर पानी मिला कर सुबह-शाम लें। 

दो छोटी चम्मच बलारिष्ट या अर्जुनारिष्ट आधे कप पानी से लें। 

शुगर के मरीज अर्जुन की छाल का दो चम्मच चूर्ण पानी में उबाल लें। फिर छानकर पीएं। 

शुगर के मरीज अश्वगंधा का पाउडर आधा छोटा चम्मच पाउडर पानी से लें या एक-एक गोली सुबह-शाम लें। 

नुस्खे 

रात को पांच बादाम भिगोकर सुबह खाली पेट एक बादाम व एक काली मिर्च लेकर दो से तीन मिनट तक चबाकर खाएं। बाकी बादामों को भी इसी तरह खाएं। 15-20 मिनट बाद नाश्ता कर सकते हैं। 

चाय-कॉफी ले सकते हैं। इनसे बीपी बढ़ता है। नमक-चीनी का घोल या इलेक्ट्रॉल पाउडर का घोल भी ले सकते हैं। 

हल्दी का आधा चम्मच पाउडर दूध के साथ दिन में किसी भी वक्त लें। इससे आराम मिलता है। ठीक होने पर छोड़ दें। इसे किसी भी मौसम में ले सकते हैं। 

छिले हुए चार बादाम, एक चम्मच शहद और एक चम्मच मिश्री को एक साथ पीस लें। सुबह-शाम इस पेस्ट को खाएं। 

गाय या बकरी का एक पाव दूध, दो चम्मच गाय का घी, काली मिर्च के 10 दाने और 10 ग्राम मिश्री को उबालकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीएं। शुगर के मरीज मिश्री व शहद न लें। 

मक्खन एक चम्मच, मिश्री स्वादानुसार और एक चांदी का वर्क मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन सेवन करें। 

हर रोज गाय के दूध के साथ एक-दो सिंघाड़े खाएं। 

दूध व चावल की खीर में छोटी इलायची, चिरौंजी, बादाम व केसर डालकर खाएं। 

पका हुआ शरीफा और सीताफल का सेवन करने से भी फायदा होता है। 

काले चने 20-25 ग्राम और 10 नग किशमिश रात को पानी में भिगो दें। सुबह शौच के बाद खाली पेट इस पानी को पीकर चने व किशमिश खा लें। आधे घंटे बाद चाय पी सकते हैं। शुगर के मरीज बिना किशमिश के चने खाएं व पानी पीएं। 

सात-आठ गिरी मुनक्का व बादाम मिलाकर रोज खाएं। 

रात को दो-तीन अंजीर भिगोकर सुबह खाएं। शुगर के मरीज सिर्फ एक अंजीर भिगोकर लें। 

एक बड़ी इलायची व पुदीने के थोड़े-से पत्तों को उबाल कर उसका पानी पीएं। चाय में डालकर भी पी सकते हैं। 

नेचरोपैथी 

तौलिया या किसी और कपड़े को सादे पानी में भिगोकर निचोड़ लें। चार उंगल चौड़ी पट्टी बनाएं। चटाई बिछाकर उस पर पट्टी फैला दें और खुद उस पर लेट जाएं। 10 मिनट तक लेटे रहें। ध्यान रहे कि पट्टी उतनी ही चौड़ी हो, जो रीढ़ की हड्डी को ही लंबाई में कवर करे, पूरी कमर को नहीं। यह लो व हाई बीपी, दोनों में फायदेमंद है। इससे थोड़ी देर में ही बीपी सामान्य हो जाएगा। इसे दिन या रात में किसी भी वक्त कर सकते हैं लेकिन सोते वक्त करना बेहतर है। लगातार 45 दिन करें। 

योग 

लो बीपी में ये आसन व क्रियाएं फायदेमंद हैं। 

अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका व उज्जायी प्राणायाम करें। कपालभाति क्रिया, उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, मंडूकासन और लेटकर साइकिलिंग करें। 

एक्यूप्रेशर 

लो ब्लड प्रेशर से बचने और उसका इलाज करने के लिए नीचे लिखे पॉइंट्स दबाए जा सकते हैं। एक पॉइंट एक बार में पांच-सात मिनट तक दबाना चाहिए। दबाते वक्त सहने लायक प्रेशर होना चाहिए। पॉइंट्स खाली पेट या खाना खाने के एक घंटे बाद दबाने चाहिए। दिन में तीन बार तक ऐसा कर सकते हैं। ये पॉइंट्स हैं - 

लोकल हार्ट पॉइंट : हथेली और अंगूठे के जुड़ने की लाइन से डेढ इंच नीचे यह पॉइंट एक वर्ग इंच लंबा-चौड़ा है। 

लीवर-3 : यह पैर के अंगूठे और पहली उंगली के बीच से ढाई उंगली ऊपर है। यह लो व हाई बीपी, थायरॉयड, शुगर और पाचन की समस्या में असरदार है। 

के-3 : टखने के अंदर की तरफ मौजूद यह पॉइंट किडनी के फंक्शन को सुधारता है। किडनी बीपी को मेंटेन करने में भूमिका निभाती है। 

पी-6 : यह पॉइंट हथेली वाली साइड में कलाई के समाप्त होने से तीन उंगली नीचे है। 

एच-3 : यह पॉइंट कुहनी के अंदर की तरफ होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है व आर्टरीज की रुकावट को साफ करता है। 

एलयू-2 : यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में निपल्स से डेढ़-डेढ़ इंच ऊपर है। यह फेफड़ों का पॉइंट है। इसे दबाने से खून में ज्यादा ऑक्सिजन मिलने से हीमोग्लोबिन का लेवल (एचबी) बढ़ जाता है। 

रेन-6 : यह नाभि से दो उंगली नीचे है। यह एनजीर् पॉइंट भी है जिसे दबाने से शरीर में एनजीर् बढ़ती है। 

एलआई-11 : दोनों कुहनियों के बाहरी किनारे पर होता है। 

एच-7 : यह पॉइंट हाथ की छोटी उंगली की सीध में कलाई के समाप्त होते ही निचले हिस्से में है। 

मुद्रा 

प्राण मुद्रा और हाइपोटेंशन मुदा। इन दोनों मुदाओं को दिन भर में 1-45 मिनट तक कर1ॅॅ1ॅ सकते हैं। ऐसा एक बार में या कई बार में थोड़ी-छोड़ी देर के लिए कर सकते हैं। 

एक्सपर्ट्स पैनल 

डॉ. के. के. अग्रवाल, चेयरमैन, हार्ट केयर फाउंडेशन 

डॉ. आर. एन. कालरा, डायरेक्टर, कालरा हॉस्पिटल 

डॉ. एस. के. शर्मा, सीनियर फिजीशियन, आरएमएल 

डॉ. देवेंद त्रिगुणा, आयुर्वेदाचार्य 

डॉ. सुचीन्द सचदेवा, होम्योपैथी विशेषज्ञ 

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी, योग गुरु 

आचार्य विक्रमादित्य, प्राकृतिक चिकित्सा व आयुर्वेद विशेषज्ञ 

अनिल बंसल, योग व प्राकृतिक चिकित्सक 

गंगा दादू, एक्यूपंक्चर व एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ

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