चिंता-विकार से उभरने में योग: ९ सुझाव

Yoga for Anxiety and dipression

चिंता एवं तनाव से राहत - योग पद्धति के द्वारा !

चिंता, भय, तनाव - इन भावनाओं से जुड़े अनुभवों पर यदि हम मनन करने लगें तो शायद हम गिनती ही भूल जाएंl बोर्ड की परीक्षा के परिणाम की चिंता, या रिपोर्ट कार्ड के प्रति माता पिता की प्रतिक्रिया, किसी से पहली मुलाकात या कार्य साक्षात्कार की घबराहट - हम सब इन क्षणों से गुज़र चुके हैं। भय, खाने में नमक के समान थोड़ा बहुत ज़रूरी भी है, ताकि हम अनुशासित, ध्यानकेंद्रित एवं गतिशील रहें।

समस्या तब शुरू होती है जब यह भय निरंतर हावी होकर हमारे दैनिक जीवन में दखल देने लगता है। तब यह एक चिंता विकार, अत्यधिक बेचैनी या किसी अनजान चीज़ के भय का रूप ले सकता है जिसका इलाज करना ज़रूरी है, और यहीं पर योग उपयोगी साबित होता है।

यह जानना बहुत ज़रूरी है कि सिर्फ योग को ही इसके एक मात्र इलाज के रूप में नहीं मानना चाहिए। चिकित्सक या विशेषज्ञ के परामर्श एवं औषधि उपचार के साथ योग को एक पूरक के तौर पर ही उपयोग में लाना चाहिए। चिकित्स्क आपकी स्थिति के बारे में सही सलाह दे सकते हैं और आप किस प्रकार के चिंता विकार से ग्रसित हैं, वह आपको बेहतर बता सकते हैं; जैसे कि - उत्तेजना विकार (पैनिक डिसऑर्डर ), आसक्त बाध्यकारी विकार (ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ),

सदमे से तनाव का विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर ), सामजिक तनाव विकार (सोशल एंगज़ाएटी डिसऑर्डर ) अथवा सामान्य चिंता (जेनरलाइज़ड एंगज़ाएटी)l.

ध्यान दें : एलोपैथी दवाइयों के कारण कई अवांछित प्रभाव हो सकते हैं, इस लिए आप वैकल्पिक उपचारों का भी उपयोग कर सकते है, जैसे की होमियोपैथी एवं आयुर्वेद।

क्या आप में चिंता-विकार के इन में से कोई लक्षण मौजूद हैं?

  •  आप असामान्य रूप से घबराहट, भय एवं बेचैनी महसूस करते हैं।
  • किसी भी सदमे के पश्चात आपको उससे जुड़े हुए अनियंत्रित एवं आसक्त विचार आते रहते हैं।
  • आप अक्सर बुरे सपनों की वजह से जाग जाते हैंl
  • बार-बार हाथ धोने की प्रवृति होती है।
  • आपको नींद न आने की समस्या रहती है।
  • आपके हाथ-पैर असामान्य रूप से पसीने से तर होते हैं।
  • आपकी दिल की धड़कन बार बार बढ़ जाती है

चिंतामुक्त होने के लिए योग कैसे आप की मदद कर सकता है?

नियमित  योगाभ्यास आपको शांत एवं निश्चिंत रहने में मदद कर सकता हैनियमित योगाभ्यास आपको शांत एवं निश्चिंत रहने में मदद कर सकता है और साथ ही अविचलित हुए समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। योगाभ्यास आदर्श रूप से योगासन, प्राणायाम, ध्यान, एवं प्राचीन योग विज्ञान का संपूर्ण समन्वय है और इन सभी से कई चिंता ग्रसित व्यक्तियों को पुनः स्वस्थ करने के साथ साथ जीवन को फिर से सकारात्मक रूप से जीने की क्षमता प्रदान की जा चुकी हैl

सुषमा गोयल, जो की एक गृहणी हैं, ने अपना अनुभव बताया कि, "मैं ज़िन्दगी की छोटो छोटी चीज़ों से परेशान और तनावपूर्ण रहती थी। हर छोटी-बड़ी घटना मुझे चिंतित कर देती थी। मेरे पति ने चिकित्सक की सलाह लेने का निर्णय किया, जिसने बताया कि मैं सामान्य चिंता विकार (जनरलाइज़्ड एंगज़ाएटी डिसऑर्डर ) से ग्रसित हूँ। मैंने ६ महीने के इलाज के साथ नियमित योगाभ्यास एवं ध्यान भी किया और मुझे अहसास हुआ कि जैसे मुझे एक नया जीवन मिला हो। मेरी सोच बदल गई है और मुझे आंतरिक स्थिरता के एहसास के साथ यह विश्वास जागा कि जो भी होगा अच्छे के लिए होगा। अब मुझे भविष्य का सामना करने से डर नहीं लगता है। योग ने मुझे यह नई शक्ति प्रदान की है।"

सुषमा की तरह आप भी एक सकारात्मक जीवन का स्वागत कर नियमित योगाभ्यास के द्वारा भयमुक्त हो सकते हैं । निम्नलिखित योग तकनीक अस्थिर मन को शांत करने में मदद कर सकती है:

  • 1: 1. अपने शरीर को विभिन्न योगासनों में ढाल कर तनाव मुक्त रखें.

निम्नलिखित योगासनों की मदद से प्रसन्न एवं स्वस्थ शरीर व मन प्राप्त करसकते हैं। योगासन तनाव एवं नकारात्मकता को हमारे शरीर से दूर करने में सहायता करते हैं .

ध्यान दें : योगासनों के पश्चात कुछ क्षणों के लिए योगनिद्रा  अवश्य करें जिससे आपके शरीर एवं मन को गहन विश्राम मिलता है। यह तकनीक शरीर को हानिकारक रसायनों से मुक्त करने में सहायता करता है जो कि तनाव का प्राथमिक कारण है।

  • 2: प्राणायाम द्वारा सही सांस लेने की विधि से तनावमुक्त हो जाएं।

श्वास पर अपना ध्यान केंद्रित करने से व्यर्थ के विचारों से मुक्ति मिलती है जो तनाव के मूल कारण होते हैं। निम्नलिखित श्वसन प्रक्रियाओं का अभ्यास करें:

कपाल भाती प्राणायाम (स्कल-शाइनिंग ब्रीदिंग तकनीक)।
भस्त्रिका प्राणायामl
नाड़ी शोधन प्राणायाम (आल्टरनेट नोस्ट्रिल ब्रीदिंग) - तनाव दूर करने का एक तरीका(इसमें बहार छोड़ी गई सांस, अन्तःश्वसन से लम्बी होती है)।)
भ्रामरी प्राणायाम (बी ब्रेथ)।

  • 3: शांतचित्त प्राप्त करने के लिए ध्यान करें।

विचलित मन को शांत करने के लिए ध्यान एक सर्वश्रेष्ठ विधि है। एक शांति की अनुभूति होती है; और निरंतर अभ्यास से यह अहसास कर पाते हैं कि किस प्रकार मन हमें छोटी-छोटी तुच्छ चीज़ों में उलझा कर रखता है। ध्यान हमें भविष्य के बारे में अत्यधिक चिंता करने एवं बेचैन होने से भी बचाता है।

आपने 'अड्रेनलिन का बढ़ना' (अड्रेनलिन रश) शब्दों को कई बार सुना होगा। यह तब होता है जब हम किसी संभावित खतरे के बारे में अत्यधिक चिंता करते हैं। उदाहरण के तौर पर जब हम किसी रोमांचक झूले की सवारी करते हैं, तब हमारा एड्रेलिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे हमारी ह्रदय गति तेज़ हो जाती है, मांसपेशियां तन जाती हैं और शरीर से अत्यंत पसीना निकलने लगता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी यह साबित किया जा चुका है कि नियमित ध्यान-अभ्यास से इस तनाव हॉर्मोन की मात्रा काफी कम की जा सकती है।

  • 4: योग विज्ञान को अपने जीवन में नियमित अभ्यास में लाकर प्रसन्न रहें और हर पल का आनंद लें।

दैनिक जीवन में प्राचीन योग ज्ञान दैनिक जीवन में प्राचीन योग ज्ञान को जानना और प्रयोग करना हमें सरल अपितु गहन योग सिद्धांतों (यम और नियम) के बारे में बताता है, जो हमारे लिए एक खुशहाल एवं स्वस्थ जीवन का सार बन सकता है। उदाहरण के लिए 'संतोष' सिद्धांत (नियम) जीवन में तृप्त रहने के महत्व का एहसास कराता है। 'अपरिग्रह' सिद्धांत लालच एवं आसक्ति भावना से होने वाली चिंता, व्याकुलता एवं तनाव से मुक्त करने में मदद करता है। 'शौच' सिद्धांत मानसिक एवं शारीरिक शुद्धि के बारे में बताता है। यह नियम विशेष रूप से आपकी तब सहायता करता है जब आपको संक्रामक रोगों से पीड़ित हो जाने के डर से व्याकुलता हो।

योग के यम और नियम पौष्टिक आहार खाने में और स्वस्थ जीवन शैली निभाने में मदद करेंगे, जिससे आप काफी हद तक तनाव एवं व्याकुलता से उभर जाएँगेl

योग विज्ञान को समझने के लिए आप श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा 'पतंजलि योग सूत्र' पर दिए गये व्याख्यान पढ़ सकते हैं।

  • 5: प्रार्थना करें, श्रद्धा रखें और मुस्कुराते रहेंl

चिंता मुक्त होने में प्रार्थना ही आश्वासन का सर्वश्रेष्ठ स्त्रोत है। नियमित रूप से प्रार्थना करना, मन्त्र उच्चारण, भजन करने जैसी आदतों को अपनाने से हम सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं और इनसे मन को स्थिर करने में मदद मिलती है। यह हमे एक गहन विश्वास से भर देते हैं की जो भी घटित हो रहा है वह हमारे अच्छे के लिए होता है और एक सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय शक्ति है जो हम सब का ध्यान रखती है। इसके अतिरिक्त ज़्यादा से ज़्यादा मुस्कुराने का सचेत प्रयत्न करें। वह स्वतः ही आप में आत्मविश्वास, शांति एवं सकारात्मकता भर देगी। इसका तुरंत ही प्रयोग कर के देखें।

  • 6: विचार करें कि आप दूसरों के लिए क्या कर सकते हैं।

जब हम 'मैं 'और 'मेरा' में उलझे रहते हैं तब यह स्वतः ही तनाव एवं व्याकुलता को आमंत्रण देता है। हम इस विचार से घिरे रहते हैं कि हमारा क्या होगाl हमें अपना ध्यान इस बात पर केंद्रित करना होगा कि हम दूसरों के सहायक कैसे बन सकते हैं। सेवा कार्य करते हुए अपने आपको अधिक ऊर्जावान बनाएँ जिससे आपको गहन संतुष्टि एवं अत्यधिक आनंद का अनुभव होगा।

  • 7:सृष्टि के अस्थाई स्वभाव को समझेंl

जब हमें यह अहसास हो जाता है कि हमारे चारों ओर सब कुछ अस्थाई है और बदलता रहता है तब हमें आंतरिक शांति और स्थिरता का अहसास होता है। एक अहसास 'कि यह भी गुज़र जाएगा और हमेशा नहीं रहेगा' हमें व्याकुलता से मुक्त कर देता है। ध्यान हमें जीवन के इस मूल सिद्धांत को पहचानने में मदद करता है।

  • 8: एक ऐसी ही अतीत स्थिति याद करें जब आप चिंता से उभर पाए थेl

यह विचार आपको वर्तमान की इस स्थिति से भी उभरने का अत्यधिक साहस देगा। स्वयं को इस बात का स्मरण कराते रहें।

  • 9: अपने आस पास सकारात्मक संगत रखें।

जब आप ज़्यादातर अपना समय सकारात्मक विचार वाले व्यक्तियों के साथ बिताते हैं, तब आप भी इन विचारों से प्रेरित होते हैं, जिनकी झलक ज़िन्दगी के प्रति आपके नज़रिये में प्रदर्शित होती है। केवल एक सकारात्मक मन ही आनंद, शांति एवं निश्चिंत होने की रचना कर सकता है।

(डॉ सेजल शाह, श्री श्री योग शिक्षक द्वारा दी गई जानकारी पर प्रतिका नायर द्वारा लिखित)।