धूप स्नान से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है
भारतीय धर्मशास्त्रों और वेदों में सूर्य को देवता माना गया है। रोगोपचार के लिए भी सूर्य की आराधना का विधान है। सुबह की धूप सभी को बहुत अच्छी लगती है। जिन बच्चों के लिए पहला जाड़ा है, उसके लिए धूप सेवन बहुत ही आवश्यक है। बुजुर्ग लोगों के लिए भी धूप दवाई का काम करती है। सूर्य की धूप का सेवन मनुष्यों के लिए अन्न तथा दूध की तरह ही उपयोगी है। उन्होंने रोेगी और दुर्बलों को प्रातःकालीन धूप को नंगे बदन पर पड़ने देने की सलाह दी है। और जिन्होंने यह प्रयोग किया है उन्हें आशातीत लाभ हुआ है। मानवीय स्वास्थ्य का सूर्य-धूप सेवन से घनिष्ट संबंध है। यह तथ्य पूर्ण रूप से स्वीकार किया जाता रहा है कि ’जहां सूर्य की किरण पहुंचती हैं वहां चिकित्सक को जाने की जरूरत नहीं पड़ती।’ सूर्य किरणों से इतनी शक्ति उपलब्ध की जा सकती है जो किसी पौष्टिक आहार की अपेक्षा अधिक बलवर्द्धक सिद्ध हो और किसी भी कीटाणुनाशक औषधि की तुलना में रोगों के निवारण में अधिक उपयोगी सिद्ध हो। यह चिकित्सा पद्धति संसार की अन्य किसी उपचार प्रक्रिया से कम लाभदायक नहीं है। बल्कि वह अन्य सभी पद्धतियों की तुलना में अधिक निर्दोष और निरापद है।