हृदय के वाल्व
एट्रियोवंट्रिक्यूलर , पल्मोनरी और एओर्टिक वाल्व रक्त के ‘दाब होने के कारण खुलते एवं बन्द होतेहैं।
1.एट्रियम के रक्त से भरने और संकुचन के समय ए.वी.वाल्व खुले होते हैं।
2.वेंट्रिक्लस के रक्त से भरने के पश्चाŸा् उनमें संकुचन शुरू होता है, संकुचन के समय वेंट्रिकल्स में एट्रियम से अधिक दाब होने से एट्रिओवेंट्रिक्यूलर वाल्व बन्द हो जाते हैं और रक्त को एट्रियम की तरफ जाने से रोकते हैं। महाधमनी एवं पल्मोनरी धमनी में वेंट्रिकल्स की अपेक्षा रक्त दाब कम होने से पल्मोनरी एवं एओर्टिक वांल्व खुलते हैं और रक्त महाधमनी और पल्मोनरी धमनी में जाता है। वेंट्रिकल्स के संकुचन के पश्चात् वेंट्रिकल्स में दाब कम होने से पल्मोनरी एवं एओर्टिक वाल्व बन्द होते हैं और ए.वी. वाल्व खुलते हैं और कार्डियक साइकल अथवा चक्र फिर शुरू होता है। सामान्यतः हमें अपने हृदय की धड़कन का पता नहीं चलता परन्तु यदि हम कान या स्टेथोस्कोप छाती पर बांयी ओर रखें तो हृदय की धड़कन सुनाई देती है।
एट्रियोवेंट्रिक्यूलर वाल्व के बन्द होने पर फस्र्ट हर्ट साउन्ड जो कि जोर से और लब शब्द के रूप में सुनाई देता है। सेकण्ड हर्ट साउन्ड धीरे डब शब्द के रूप में एओर्टिक और पल्मोनरी वाल्व के बन्द होने पर सुनाई देता है।