Utthita Padmasana-उत्थित-पद्मासन(लोलासन)

विधि - सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए।
हाथों पर पूरे शरीर का बजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को उपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए,
कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं ।
2-4 बार दोराह सकते है।
साँस- शरीर को उपर उठाते समय साँस भरेंगे ,नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे।
एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे।

लाभ- हाथों,कलाईयों व कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

Baddha Padmasana-बद्ध पद्मासन

सबसे पहले पद्मासन की स्थिति में आइए, फिर दाहिना हाथ पीछे ले जाकर दाहिने पैर का अंगूठा पकड़ लें ,और बाया हाथ पीछे ले जाकर बायां पैर का अंगूठा पकड़ लें ,साँस सामान्य बनाए रखे ,आँखे बंद रखे ,भ्रू – मध्य के बीच ध्यान को एकाग्र करें । इस अभ्यास को २ मिनट तक करें ।

बद्ध-पदमासन के फायदे

इस आसन  से थायरॉइड ग्रंथि ठीक ढंग से काम करने लग जाती है,  हाथ, गर्दन, कंधे,पीठ और टखने की मांसपेशियाँ ताकतवर तथा लचकदार बनती हैं।  शारीरिक दुर्बलताके लिए लाभदायक है ।  थकान दूर करने में भी बद्ध – पदमासन  है और इसके साथ साथ यह शरीर को चुस्त रखता है  । 

Padmasana-पद्मासन

 

सर्वप्रथम स्थिति में आते हुए ,पैरो को सामने की ओर सीधा दायें पैर को घुटने से फोल्ड कीजिए और पंजे को बाई जाँघ पर रखिए,फिर बायें पैर को दाईं जाँघ पर रखिए,दोनो पैरों के तलवे उपर की और रखिए,कमर को बिल्कुल सीधा रखिए,हाथों को ध्यान मुद्रा में घुटनो पर रखिए ,

लाभ-
ध्यान के लिए उपयुक्त आसन है जाँघो की चरबी कम करता है मन को एकाग्र करता है चेतन्यता लाता है 

 

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