योग: कर्मसु कौशलं

 योग जीवन जीने की कला

*सुलभा देशपांडे***

      योगेश्‍वर श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए          कहा है ‘‘योग: कर्मसु कौशलं|‘‘ अर्थात योग जीवन जीने की कला है| योग कार्य करने का कौशल सिखाती है| योग सत्य को जीवन में उतारने का माध्यम है|

सार्थक जीवन जीने की कला है योग

इंसान की मौलिक प्रवृत्तियों पर अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि उसके पास अभी जितना कुछ है, वह उससे अधिक पाना चाहता है। लोग जिन चीजों की इच्छा करते हैं, वह अलग-अलग होती हैं। अगर आपका खिंचाव पैसे की ओर है तो आप अधिक पैसा कमाने की सोचेंगे। अगर आपने ज्ञान अर्जित किया है तो आप और ज्ञान बटोरना चाहेंगे। चाह

Pages